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    भारत विकास परिषद् का कोई भी सम्मानित सदस्य केंद्रीय कार्यालय को रु. 1,00,000 का अनुदान करते हैं तो उन्हें विकास रत्न की उपाधि से सम्मानित किया जाता है। इस अंशदान को केंद्रीय कार्यालय किसी भी कार्य के उपयोग में नहीं लेता है अपितु इसका फिक्स्ड डिपाजिट करवाने पर उससे प्राप्त ब्याज को सेवा कार्यों में उपयोग लेता है। इसमें सदस्य को सपत्नीक प्रमाण पत्र एवं शील्ड के साथ सम्मानित किया जाता है। इस उपाधि के पश्चात परिषद् के किसी भी कार्यक्रम में उन सम्मानीय सदस्यों को अग्रिम पंक्ति में स्थान दिया जाता है। परिषद् द्वारा जारी नीति पुस्तक में भी दोनों के फोटो के साथ समाचार दिया जाता है साथ ही परिषद् के केंद्रीय कार्यालय की अधिकृत वेबसाइट पर भी दोनों के नाम मय फोटो के हमेशा दिखाई देते रहते हैं।

    भारत विकास परिषद् का कोई भी सम्मानित सदस्य केंद्रीय कार्यालय को रु. 11,000 का अनुदान करते हैं तो उन्हें विकास मित्र की उपाधि से सम्मानित किया जाता है। इस अंशदान को केंद्रीय कार्यालय किसी भी कार्य के उपयोग में नहीं लेता है अपितु इसका फिक्स्ड डिपाजिट करवाने पर उससे प्राप्त ब्याज को सेवा कार्यों में उपयोग लेता है। इसमें सदस्य को प्रमाण पत्र एवं शील्ड के साथ सम्मानित किया जाता है। साथ ही परिषद् के केंद्रीय कार्यालय की अधिकृत वेबसाइट पर भी नाम हमेशा दिखाई देते रहते हैं।